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Gum Shayari
एक कोशिश दिल की सबकुछ बुला देती है
खुली आँखों से भी सपने सजा लेती है,
सपनो को सजाते रहना जरुर क्योकि
हकीकत तो सबको रुला देती है !!
जाना था दूर तो पास बुलाया क्यूँ था,
प्यार न था हमसे तो बहलाया क्यूँ था,
खुश थे हम अपनी गम ऐ ज़िन्दगी में,
चेहरा अपना दिखा कर तड़पाया क्यूँ था !!
जरा पाने की चाहत में
बहुत कुछ छुट जाता है,
नदी का साथ देता हूँ तो
समन्दर रूठ जाता है !!
जब तक अपने दिल में उनका गम रहा,
हसरतों का रात दिन मातम रहा,
हिज्र में दिल का ना था साथी कोई,
दर्द उठ-उठ कर शरीके-गम रहा !!
मुझको दुंढ लेता है
रोज किसी बहाने से,
दर्द वाकिफ हो गया है
मेरे हर ठिकाने से !!
मोहब्बत हाँथ में पहनी
हुई चूड़ी के जैसी है,
संवारती है, खनकती है,
खनक कर टूट जाती है !!
Gam Shayari in Hindi
बात न हो तो चलता है मगर,
कोई भूल जाए तो बहुत खलता है !!
किसी से न करेंगे प्यार इस तरह,
न झेलना पड़ेगा जख्म इस तरह !!
चूम लेता हूँ हर मुश्किल
को मै अपना मानकर,
ज़िन्दगी केसी भी है
आखिर है तो मेरी ही !!
जो नजर से गुजर जाया करते हैं,
वो सितारे अक्सर टूट जाया करते हैं,
कुछ लोग दर्द को बयां नहीं होने देते,
बस चुपचाप बिखर जाया करते हैं !!
मोहल्ले की मोहब्बत
का भी अजीब फ़साना है,
चार घर की दुरी और
बीच में सारा जमाना है !!
कोई अच्छी सी सज़ा दो मुझको,
चलो ऐसा करो भूला दो मुझको,
तुमसे बिछडु तो मौत आ जाये दिल,
की गहराई से ऐसी दुआ दो मुझको !!
Gam Bhari Shayari Hindi
मेरा खालीपन बताता है मुझे,
कितनी जगह दे रखी थी उसे !!
अगर मोहब्बत की हद नहीं कोई,
तो दर्द का हिसाब क्यों रखूं मै !!
थक सा गया है मेरी
चाहतों का वजूद अब,
कोई अच्छा भी लगे तो
इजहार नहीं करता !!
तुमको लेकर मेरा
ख्याल नहीं बदलेगा,
साल बदलेगा मगर दिल
का हाल नहीं बदलेगा !!
चुपके-चुपके रात दिन
आंसू बहाना याद है,
हमको अब तक आशिकी
का वो जमाना याद है !!
नाराजगी चाहे कितनी
भी क्यों ना हो पर तुझे,
छोड़ देने का ख्याल हम
आज भी नहीं रखते !!
Gam ki Shayari
नजरों ने ही की थी खता आखिर
दिल को भी था पता आखिर,
बहते अश्को से न हो रुसवा अब
मिलनी तो थी ही सजा आखिर !!
कभी दूरिया तो कभी नजदीकीया थी,
वो हमारे नही किसी और के करीब थी,
यकीन जिस पर खुद से ज्यादा था,
वही मेरी मोहब्बत मैं बेवफा थी !!
मुझे कहती है तेरे साथ रहूंगी सदा ग़ालिब,
बोहत प्यार करती है मुझसे उदासी मेरी !!
ज़िद मत किया करो मेरी दास्तान सुनने की,
मैं हँसकर कहूँगा तो भी तुम रोने लगोगे !!
हमें अहमियत तक नहीं दी गई,
और हम जान तक दे रहे थे !!
सूख गई है तेरे इश्क़ के वो डाली,
अब उसे मरहम से मत सींच !!
हो चुके अब तुम किसी के,
कभी मेरी ज़िंदगी थे तुम,
भूलता है कौन मोहब्बत पहली,
मेरी तो सारी ख़ुशी थे तुम !!
देख कर मेरा नसीब मेरी तक़दीर रोने लगी,
लहू के अल्फाज़ देख कर तहरीर रोने लगी,
हिज्र में दीवाने की हालत कुछ ऐसी हुई,
सूरत को देख कर खुद तस्वीर रोने लगी !!
मुझे यकीन है मोहब्बत उसी को कहते हैं,
कि जख्म ताज़ा रहे और निशान चला जाये !!
अजीब सी थी वो मुझे बदल कर खुद बदल गई !!
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